आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-06-2017) को "पिता जैसा कोई नहीं" (चर्चा अंक-2647) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए । हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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8 comments
Click here for commentsआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-06-2017) को
Reply"पिता जैसा कोई नहीं" (चर्चा अंक-2647)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी।
Replyसच्ची बात!
Replyवाह
Replyबहुत खूब
शुक्रिया, श्री प्रतिभा जी।
Replyधन्यवाद ज्योति जी।
Replyबहुत ख़ूब लिखा है ... पिता सम्बल है ... पिता वो द्वार है जिससे दुःख पार नहीं हो पाते ...
Replyशुक्रिया श्री दिगम्बर जी |
Replyजब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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