बरसतीं हैं रहमतें इस महीने में !
चमक सी उठी है दिल के नगीने में !
था बुझा-बुझा सा मन !
जैसे अश्क़ों से भीगा है तन !
मिलता है बड़ा सुकून रमजान के महीने में !
चमक सी उठी है दिल के नगीने में !
बरसतीं हैं रहमतें इस महीने में !
चमक सी उठी है दिल के नगीने में !
क्या मिलता है इस खाली ज़िंदगी से !
मिलता है सबाब खुदा की बंदगी से !
किस्मत वाले हैं वो जो सजदे करते हैं मदीने में !
चमक सी उठी है दिल के नगीने में !
बरसतीं हैं रहमतें इस महीने में !
चमक सी उठी है दिल के नगीने में !
मिलता है बड़ा सुकून रमजान के महीने में !
किस्मत वाले हैं वो जो सजदे करते हैं मदीने में !
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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