देख ले आके तन्हाइयो में मेरी बसेर हो गई कैसे बताऊ कब हुई शाम और कब सबेर हो गई है दफ़न जो ज़मी में वो तड़पता है इंतज़ार में सब आ गए पर तुझ...
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Khyal Shayari चली आती है तसब्बुर में वो
चली आती है तसब्बुर में वो हर घडी ! जो हक़ीक़त में मुझसे नज़रे नहीं मिलाती !
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