Hindi Lekh - Pahle Bane Ek Achhe Pathak

आज की दौड़ती-फिरती जिन्दगी में हमारा पढ़ना भी दौड़ता-फिरता सा हो गया है! एक लाइन पढ़ी दूसरी लाइन छोड़ दी, पहला पेज पढ़ा दूसरा पेज छोड़ दिया। क्यों ऐसा ही होता है न आपके साथ। मेरे साथ भी होता था पर जब मैंने ये जाने की जब तक मैं एक अच्छा पाठक नहीं बनुँगा. तब तक मैं अपनी पढ़ी हुयी चीज़ों का अर्थ नहीं जान पाउँगा क्योंकि मैं आधा-अधूरा पढ़ता हूँ, आधा-अधूरा पढ़ना फ़िज़ूल है आधा-अधूरा पढ़ने से हम न तो ये जान पाते हैं कि हमने जो पढ़ा उसमें क्या अच्छाई थी और क्या कमियाँ। फिर चाहें हम कितनी भी किताबें,कितनी भी रचनाएँ क्यों न पढ़ लें ?


make-good-reader


जब-तक हम पूरी कहानी, कविता ,शायरी फिर चाहें जैसी रचना या खबर हो जब-तक हम उसे पूरा नहीं पढ़ेंगे तब-तक हम उसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते क्योंकि हमें पता ही नहीं होता है कि जो हमनें रचना पढ़ी आखिर उसमें था क्या। 

शायद आपने कभी गौर किया होगा कि जब हम किसी रचना को पूरा पढ़ लेते हैं समझ लेते तो उसी पल हमारे दिमाग में उस रचना को लेकर कुछ शब्द खुद-ब-खुद उगने लगते हैं। जिन्हें प्रतिक्रिया (कमेंट) के रूप हम वहाँ व्यक्त करतें हैं

अगर आज से कुछ साल पीछे जाये तो आपने देखा होगा कि लोग कई दिनों के बासी अखबार को बड़े चाऔ से पढ़ते थे पर आज-कल केवल हैडलाइन पढ़ीं जातीं हैं बहुत कम लोग हैं जो पूरी खबर को पढ़ते हैं। अब आप ये सोच रहें होंगे कि आज-कल किसी के पास इतना वक़्त कहाँ की पूरी खबर पढ़े। 

whatsapp,facebook,google+ जैसी साइटों हम लोग घण्टों यूँहीं गुजर देते हैं पर वहाँ भी यही होता है न हम किसी की share की गयी रचना ठीक से पढ़ने हैं और नाहीं उसपर ठीक से प्रतिक्रिया देते हैं। 

दोस्तों एक छोटा सा प्रयास किया है कि लोगों में छिपा एक अच्छा पाठक जागे और रचनाकारों की रचनाओं पर प्रतिक्रिया दे
पाठकों की प्रतिक्रियाएं रचनाकार को ऊर्जा से भर जातीं हैं और रचनाकार अपने लेखन पर प्रतिक्रिया पाकर दिन-ब-दिन बेहतर लेखन करता चला जाता है!

दोस्तों अगर आपको मेरा लेख पसंद आया हो तो कृपया अपने दोस्तों के साथ इसे साँझा करें......... शुक्रिया
 
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2 comments

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Meena sharma
admin
26/2/17 9:04 am ×

शब्दशः सही लिखा है आपने देव कुमार जी । अच्छा लेखक बनने के लिए अच्छा पाठक होना उतना ही जरूरी है जितना अच्छा वक्ता होने के लिए अच्छा श्रोता होना और पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतजार तो हर लेखक को होता है।

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Dev Kumar
admin
27/2/17 9:17 pm ×

प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया श्री मीना शर्मा जी .
इस तरह से प्रतिक्रियाए देतीं रहिये ताकि मैं बहतर-से-बहतर लेखन कर सकूं .

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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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अगर आपको मेरी लिखी कोई भी रचना पसंद आयी हो तो इस पेज को फॉलो करें और मेरी लेखनी को समर्थन देकर मुझे आगे लिखने के लिए प्रोत्साहित करें।
शुक्रिया,,,,,

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