तुम्हें ये तो पता ही होगा की भगवान श्री कृष्ण और राधा-रानी प्रेमी और प्रेमिका हैं नाकि पति-पत्नी।
राधा-कृष्ण पति-पत्नी नहीं हैं फिर भी ये दुनिया इन दोनों का नाम साथ में लेती है क्योंकि ये दोनों नाम एक-दूजे के लिए बने हैं। ठीक इसी तरह हमारी कहानी है
बेशक हम पति-पत्नी नहीं पर मेरे दिल में तुम प्यार की मूरत की तरह समायी हुयी हो, मेरी धड़कनों में तुम पल-पल धड़कती हो, तुम्हारी वो मीठी सी बोली हर-दम मेरे कानों में गूंजती रहती है, तुम्हारा ख्याल मुझे एहसास दिलाता है कि तुम यहीं-कहीं मेरे पास बैठी मुझसे बातें कर रही हो !
तुम मुझमें इस तरह बसी हो. जैसे दीपक में ज्योति
दोनों एक-दूजे से हैं अगर दीपक नहीं तो ज्योति किस काम की
और अगर ज्योति नहीं तो दीपक किस काम का ........
तुम्हारे लिए दिल से हर-दम यही आवाज़ आती है।
पल्कों पे अपनी तुम्हें सजा के रखूँसीने से अपने तुम्हें लगा के रखूँहो न सकूं चाह कर भी तुमसे जुदाइस तरह तुम्हें अपनी रूह में बसा के रखूँ
4 comments
Click here for commentsआमीन ... सच्चे प्रेम को जैसे भी जहाँ भी रखो ... वो महकता ही रहेगा ... अच्छा ख्याल ....
Replyश्री #Digamber Naswa जी आपकी प्रतिक्रिया हमेंशा मुझे ऊर्जा से भर जाती हैं
Replyआपका बहुत-बहुत शुक्रिया
मेरे ब्लॉग अपनी नज़र बनाए रखिये ताकि मैं और बहतर लेखन कर सकूं
गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत बधाई
सच्चे प्रेम की अनुभूति कराती भावनात्मक रचना।
Replyधन्यवाद #Sudha Devrani जी
Replyआपकी प्रतिक्रिया मुझे लेखन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं
तो इसी तरह मेरे ब्लॉग को पढ़ते रहिये और मेरे लेखन में होने वाली कमियों से मुझे अवगत करतीं रहिये .
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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