शायद मेरी तरह हर हिंदुस्तानी के मन में आज-कल एक ही सावल उठता होगा कि आये दिन शहीद होते जवानों का जिम्मेदार कौन है। चंद आतंकी आये दिन हमारे जवानों को मौत की नींद सुला देते हैं और हम आतंकियों द्वारा किये गये हमलें पर सिर्फ निंदा करते हैं, सिर्फ और सिर्फ निंदा, क्या निंदा करने से उन आतंकियों के हमलें रुक जायेंगे, क्या निंदा करने से आतंकी दोबारा हमला नहीं करेंगे। अगर 'हाँ' तो हर पल निंदा कीजिए , हर लम्हा निंदा कीजिये, जितना दिल करें निंदा कीजिये ।
बस एक काम कीजिए उन जवानों को सीमा से हटा लीजिए और आप खुद उन जवानों की जगह खड़े हो जाईये और आतंकियों के सामने खड़े होकर उनकी खूब निंदा कीजिए, फिर देखते हैं वो आतंकी निंदा की भाषा समझते है या जवानों को खुली छूट की भाषा ।
बस एक काम कीजिए उन जवानों को सीमा से हटा लीजिए और आप खुद उन जवानों की जगह खड़े हो जाईये और आतंकियों के सामने खड़े होकर उनकी खूब निंदा कीजिए, फिर देखते हैं वो आतंकी निंदा की भाषा समझते है या जवानों को खुली छूट की भाषा ।
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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