ऐ डूबते दिसम्बर ज़रा इत्मिनान बरत,
नये साल से पहले कोई मिलना चाहता है मुझसे।
दिसम्बर बीतने से पहले कोई मिलना चाहता है मुझसे।
ऐ डूबते दिसम्बर ज़रा इत्मिनान बरत,
कोई मिलना चाहता है मुझसे,
तू जो गुजरा तो एक वादा टूट जायेगा।
इस साल का दामन जैसे छूट जायेगा।
ऐ डूबते दिसम्बर ज़रा इत्मिनान बरत,
नये साल से पहले कोई मिलना चाहता है मुझसे।
दिसम्बर बीतने से पहले कोई मिलना चाहता है मुझसे।
कोई मिलना चाहता है मुझसे,
वो बेवफा इक बार मिलना चाहता हैं मुझसे ?
December pe likhi ek aur shayari ➽ Bewafa December
3 comments
Click here for commentsNice lines,,,,
Replyअच्छी पंक्तियाँ है ...
Replyआप यहाँ आये इसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
Replyआपसे एक गुजारिश है आप जब भी मेरे ब्लॉग पर आये कृपया करके मेरी लेखनी में होने वाली कमियों से मुझे रूबरू कराये ताकि मैं भी बेहतर लेखन कर सकूं।
शुक्रिया
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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