Hindi Shayari Tamasha Meri Aankho Ka

Sad Shayari By Dev Kumar

















ये रोज-रोज का क्या तमाशा लगा रखा है
'मेरी आँखों ने'
न जी भरके रोतीं हैं
न रातों को सोतीं हैं
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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