नज़्मों में आपकी ये कैसी जादूगरी है।
घूँघट ओढ़े आपकी कलम का, जैसे कोई हूर-परी है।
ठहर जातीं हैं नज़रें आपकी ग़ज़ल को देखकर,
परिस्तान की जैसे कोई सुन्दर नगरी है।
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए । हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
`````````````````````````````````````````````````````````````` अगर आपको मेरी लिखी कोई भी रचना पसंद आयी हो तो इस पेज को फॉलो करें और मेरी लेखनी को समर्थन देकर मुझे आगे लिखने के लिए प्रोत्साहित करें। शुक्रिया,,,,,
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