Ishq Shayari-Beshumar

इबादत कहो या गुनाह पर मैं बार-बार करता रहा।
इक बेवफा से इश्क़ मैं बेशुमार करता रहा।

Ibadat Kaho Ya Gunah  Par Main Baar-Baar Karta Raha.
Ik Bewafa Se Ishq Main Beshumar Karta Raha..
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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