Har roz bikharti tujhe ek aas dikhata hoon,
Tu aa tujhe main apne paas bulata hoon,
Na hai kafan ka parda na uthate hain janaze inke,
Aa tujhe main apne armaano ki laash ginata hoon,
हर रोज़ बिखरती तुझे एक दिखाता हूँ ,
तू आ तुझे मैं अपने पास बुलाता हूँ ,
न है कफ़न का पर्दा न उठते हैं जनाज़े इनके ,
आ तुझे मैं अपने अरमानों की लाश गिनाता हूँ ,
Tu aa tujhe main apne paas bulata hoon,
Na hai kafan ka parda na uthate hain janaze inke,
Aa tujhe main apne armaano ki laash ginata hoon,
हर रोज़ बिखरती तुझे एक दिखाता हूँ ,
तू आ तुझे मैं अपने पास बुलाता हूँ ,
न है कफ़न का पर्दा न उठते हैं जनाज़े इनके ,
आ तुझे मैं अपने अरमानों की लाश गिनाता हूँ ,
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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