Ho sake to bas itna farz nibha dena,
Jab uthe janaza to haath laga dena,
Dikhti rahna chita ko khak hone tak,
Fir us muththi bhar raakh ko ganga mai baha dena,
हो सके तो बस इतना फ़र्ज़ निभा देना,
जब उठे जनाज़ा तो हाथ लगा देना,
दिखती रहना चिता को खाक होने तक,
फिर उस मुठ्ठी भर राख को गंगा में बहा देना
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए । हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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2 comments
Click here for commentsजरा सी रंजिश में ना छोड़ देना किसी अपने का दामन...
Replyक्योंकि जिंदगी बीत जाती है किसी अपने को अपना बनाने में....
Jarj si hoti baat to main kab ka bhul gay hota,
ReplyKaise bhul jau main us bewafa ke julmo ko ,,
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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