जाति-धर्म में बट गयी इंसानियत ये कैसा मंज़र नज़र आता है!
सच्चे रिश्तों का वो चमन बंज़र नज़र आता है!
रंजिशों के रह गए हैं त्यौहार आज-कल,
किससे मिलूं ईद हर एक के हाथ में खंज़र नज़र आता हैं !
Jaati-Dharm Mai Bat Gayi Insaniyat Ye Kaisa Manzar Najar Aata Hain.
Sachche Rishto Ka Wo Chaman Banjar Najar Aata Hai.
Ranjisho Ke Rah Gaye Hain Tyohaar Aaj-Kal,
Kisse Milu Eid Har Ek Ke Hath Mai Khanjar Nazar Aata Hai...
सच्चे रिश्तों का वो चमन बंज़र नज़र आता है!
रंजिशों के रह गए हैं त्यौहार आज-कल,
किससे मिलूं ईद हर एक के हाथ में खंज़र नज़र आता हैं !
Jaati-Dharm Mai Bat Gayi Insaniyat Ye Kaisa Manzar Najar Aata Hain.
Sachche Rishto Ka Wo Chaman Banjar Najar Aata Hai.
Ranjisho Ke Rah Gaye Hain Tyohaar Aaj-Kal,
Kisse Milu Eid Har Ek Ke Hath Mai Khanjar Nazar Aata Hai...
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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