दिल में रह-रह के उठती हैं , तुझसे मिलने की आस !
मौहब्बत न सही कोई फरेब करने आजा !
तूने किये हैं सितम , तूने दिए हैं गम ,
अब एक एहसान नाम-ए-देव करने आजा !
मौहब्बत न सही कोई फरेब करने आजा !
तूने किये हैं सितम , तूने दिए हैं गम ,
अब एक एहसान नाम-ए-देव करने आजा !
Dil Mai Rah-Rah Ke Uthti Hai, Tujhse Milne Ki Aas
Mohabbat Na Sahi Koi Fareb karne Aaja.
Tune Kiye Hain Sitam, Tune Diye Hain Gam,
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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