Sitam Shayari-Mohabbat Na Sahi

दिल में रह-रह के उठती हैं , तुझसे मिलने की आस !
मौहब्बत न सही कोई फरेब करने आजा !
तूने किये हैं सितम , तूने दिए हैं गम ,
अब एक एहसान नाम-ए-देव करने आजा !
Dil Mai Rah-Rah Ke Uthti Hai, Tujhse Milne Ki Aas 
Mohabbat Na Sahi Koi Fareb karne Aaja.
Tune Kiye Hain Sitam, Tune Diye Hain Gam,
Ab Ek Ehsaan Naam-e-Dev karne Aaja... 
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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