है फूलों में महक ताज़ी , है कफ़न में कोरापन बाकी ! आशिक़ की मय्यत से यूँ उठने वाली , तुझे ज़रा हया क्यों नहीं आती ! Hai Phoolo Mai Mahak Taaji. Hai Kafan Mai Korapan Baaki. Aashiq Ki Mayyat Se Yun Uthane Wali, Tujhe Zara Haya Kyo Nahi Aati........
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए । हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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Replyजब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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