Intzaar Shayari Tujhe Aane Mai Badi Der Ho Gayi

देख ले आके तन्हाइयो में मेरी बसेर हो गई 
कैसे बताऊ कब हुई शाम और कब सबेर हो गई 
है दफ़न जो ज़मी में वो तड़पता है इंतज़ार में 
सब आ गए पर तुझे आने में बड़ी देर हो गई 
न लगा है संगमरमर मेरे नाम का वहाँ 
पहचान न सकेगी तू जो फूलों से सजी कब्र मिट्टी का ढेर हो गई
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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