Khyal Shayari चली आती है तसब्बुर में वो

चली आती है तसब्बुर में वो हर घडी !
जो हक़ीक़त में मुझसे नज़रे नहीं मिलाती !
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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