न मुलाकात हो रही है, न बात हो रही है,
दिल के वीराने में दर्दों की बरसात हो रही है,
लम्हा-दर-लम्हा उनकी याद सताती रहती है हमें,
ये कैसी बदसलूकी मेरे साथ हो रही है,
दिल के वीराने में दर्दों की बरसात हो रही है,
लम्हा-दर-लम्हा उनकी याद सताती रहती है हमें,
ये कैसी बदसलूकी मेरे साथ हो रही है,
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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