Story For Neelesh Misra

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Image By YouYube
नमस्कार दोस्तों आप नीलेश मिसरा जी को जानते ही होंगे। जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि आप नीलेश मिसरा जी को जानते हैं और जो नहीं जानते हैं उन्हें हम बता देते हैं अरे वहीँ हैं अपने नीलेश मिसरा जी जो रोज रात 9 बजे हमें कहानी सुनाते हैं अरे वो कौनसा रेडियो स्टेशन है हां याद आया 93.5 रेड एफ एम यही है जिसपर नीलेश मिसरा जी कहानियां सुनाते हैं। 

हम भी कितने दीवाने हो गए हैं नीलेश मिसरा जी की कहानियों के जो हमने आपसे कह दिया कि वो हर रोज कहानी सुनाते हैं। इसमें हमारा कोई कसूर नहीं, कसूर उन कहानियों का हैं जो हमारे मन में उछल-कूंद करती रहती हैं और हमें लगता हैं कि हम रोज कहानी सुनते हैं सो हमने आपसे भी कह दिया कि नीलेश जी रोज कहानी सुनाते हैं इसके लिए हम माफ़ी चाहते हैं और बता देना चाहते हैं कि नीलेश जी सप्ताह में 5 दिन कहानी सुनाते हैं और 2 दिन छुट्टी मनाते हैं, छुट्टी ये क्या कहा दिया हमने लगता हैं हम पागल हो गए हैं अभी रुकिए हम हिसाब लगा के बताते हैं सोमवार से शुक्रवार तक वो कहानियां सुनाते हैं और शनिवार और रविवार को शायद कहानियां रिकॉर्ड करते होंगे और वक़्त के हिसाब से सुनाई हुई कहानियों को यूट्यूब से जोड़ते होंगे, और हमने फटाक से कह दिया की छुट्टी मनाते हैं मुश्किल से एकादा घंटे का वक़्त मिलता होगा और उसमे भी नीलेश जी को अपनी निजी जिंदगी के कामों को निपटाना होता होगा अपनी निजी जिन्दगी के भी तो काम होते हैं और आज की दौड़ती-फिरती जिंदगी में अपनी जिम्मेदारियों को निभाना कितना मुश्किल हो गया है ये आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं। 

लो कर लो बात हम भी कहाँ से कहाँ आ गए हम नीलेश जी की बात कर रहे थे और जिम्मेदारियों को लेके बैठ गए नीलेश जी के बारे में हम क्या बताये कुछ समझ नहीं आ रहा, बस इतना जानते हैं कि जब नीलेश जी अपनी मधुर आवाज़ में कहानी सुनाते हैं तो दिल बाग़-बाग़ हो जाता हैं हमें तो The Neelesh Misra Show प्रोग्राम बड़ा ही प्यारा लगता हैं, प्यारा लगता हैं हमें तो आवारा लगता हैं जो हर वक़्त हमारे मन की दहलीज पर बैठा रहता और हमें कहानियां सुनाता रहता हैं। 

जब कभी हम अपनी व्यस्थ जिंदगी में व्यस्त होने लगते हैं तो हमारी जिंदगी बन चुका हमारा मोबाइल The Neelesh Misra Show की याद दिला देता हैं और मन की खिड़की से आवाज़ आती है आज रात 9 बजे नीलेश जी कहानी सुनाएंगे भूल न जाना, फिर क्या है हम शाम ढलते ही इंग्लिश में क्या कहते हैं उसे, हाँ इयरफोन कानों में लगा लेते हैं और मोबाइल को हवा में इधर-उधर घूमते रहते हैं। वो क्या है कि हम जहां रहते हैं वहाँ एफ एम धुंधला सुनाई पड़ता हैं। मक्खियां सी भिनभिनातीं हैं कानों में, पर हमें तो कहानी सुननी होती है जैसे ही सनसनाहट की आवाज़ आती हैं वैसे ही हम मोबाइल को आगे सरका देते हैं तो कभी पीछे, कभी ऊपर और कभी नीचे। मोबाइल को घूमते रहते हैं। पूरी कहानी सुनने के बाद ही दम देते हैं। 

जब तक नींद नहीं आती हम यही सोचते रहते कि ये इतनी अच्छी-अच्छी कहानियां लिख कैसे लेते हैं। एक लाइन में कितने शब्द लिखने चाहिए और एक पेज में कितने, कुल मिलाकर कितने पेज लिखने चाहिए जिससे एक अच्छी सी कहानी बने। आखिर हमें भी तो नीलेश जी को अपनी कहानी भेजनी है। हम भी उनकी मण्डली में शामिल होना चाहते हैं। लोग हमारी भी कहानियां सुने और न जाने क्या-क्या सोचते ही रहते हैं। 

सुबह उठकर जब हम रात को सुनी कहानी को अपने दोस्त बिटटू के सामने दोहराते हैं तो वो कहता है क्या रोज-रोज कहानियां सुनाता रहता हैं कहाँ से पढ़ के आता हैं। इतना सुनते ही हम अपने माथे को पकड़ कर बैठ जाते हैं और सोच में डूब जाते हैं। ये बिटटू भी एक नंबर का अनाड़ी निकला, हम इसे रोज तो बताते हैं की हम नीलेश जी कहानियां सुनते हैं, और ये बताते हैं कि 93.5 RED F M पर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे से नीलेश जी का THE NEELESH MISRA SHOW चलता है पर इसकी समझ में ही नहीं आता, लगता हैं ये कहानियां सुनता ही नहीं तभी तो हमसे पूछता है कि हम कहानी कहाँ से पढ़ के आते हैं। 

एक दिन हमने ठान ली की हम आज बिटटू को कहानी सुना कर रहेंगे। फिर क्या था शाम ढलते ही हम पहुच गए बिटटू के पास, काफी देर बात करने के बाद जब कहानी शुरू होने का वक़्त आया तो हमने अपनी जेब से मोबाइल निकाला उसमें इयरफोन लगाया, इयरफोन का एक सिरा बिटटू के कान में धकेल दिया और एक अपने में, बिटटू इयरफोन को झटकने ही वाला था कि नीलेश जी की आवाज़ आयी, नीलेश जी की आवाज़ सुनते ही पहले बिटटू ने इयरफोन को सम्भाला फिर खुद को और चुपचाप बैठ गया। 

नीलेश जी अभी सिर्फ इतना ही कहा था कि मैं सुनाने जा रहा हूँ अनुलता राज नायर की लिखी कहानी 'मौसम', कहानी का नाम सुनते ही हमारे मन में प्रशन्नता की लहर दौड़ गयी। आज हमारी ख़ुशी दोगुनी हो गयी थी, पहली ख़ुशी ये थी कि कहानी अनुलता राज नायर जी की लिखी थी, जोकि हमारी पसंदीदा लेखिका हैं और दूसरी ख़ुशी ये थी कि हमारे मित्र बिटटू जो कहानी नहीं सुनते थे, वो कहानी में खो गए थे। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ रही थी वैसे-वैसे बिटटू उसमें डूबता जा रहा था। 

कहानी के बीच में जब गाना आता था तो हम बिटटू के कानों से एयरफोन खींचे लेते थे तो बिटटू घुर्राते हुए कहता, 'अरे यार क्या कर रहा है कहानी निकल जाएगी', देना एयरफोन दूसरे ही पल एक मासूम बच्चा बन जाता। कहानी के अंत में जब नीलेश जी ने कहा, 'कहानी ख़त्म पैसा हज़्म'। पता नहीं बिटटू को क्या हुआ, उसने एक गहरी सांस भरी और कहने लगा, 'कहानी खत्म पैसा हज़्म', हम तो भौचक्के रह गए। पहली कहानी में ये हाल वो बेचारा करता भी तो क्या नीलेश जी की आवाज़ और उनकी कहानियां होती ही ऐसी हैं जो दिल छू जातीं हैं।
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जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।

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