ये संस्कार आते कहाँ से हैं।
क्या इंसान के जन्म के साथ-साथ उसके संस्कार भी जन्म लेते हैं।
ऐसे सवाल मेरे मन में रोज आते और मैं हर रोज इन सवालों के जवाब खुद से ही पूछता।
कभी
जवाब मिलता-संस्कार एक ऐसे माहौल मिलते हैं जहां सब लोग संस्कारी होते हैं
तो कभी ये ख्याल आता कि जो संस्कार बच्चे को अपने घर से मिलते हैं वही
संस्कारों की नीव होते हैं। क्योंकि बच्चा एक कोरे कागज की तरह होता है
जिसपे परिवार वाले जैसा लिखते हैं वह बड़ा होकर वैसा ही रूप धारण कर लेता
है। जन्म के बाद बच्चा सबसे पहले जो कुछ भी सीखता है वो सब अपने माता-पिता
से सीखता है और इसी लिए ये कहा जाता कि बच्चे का पहला शिक्षक उसके
माता-पिता होते हैं। वो माता पिता ही होते हैं जो बताते हैं की अपने से बड़े
से किस तरह बात करते हैं। किस तरह उसका आदर-सत्कार करते हैं। किस तरह
उन्हें प्रणाम करते हैं।
गुरु के चरण छूने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
जब आये लब पे तो दुआ कीजिए ।
हमारे लिए भी चंद अल्फाज अपनी जुबां कीजिए ।
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शुक्रिया,,,,,
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